Tuesday, August 28, 2012

संस्कृत सुभाषिते [अर्थासकट]: ७६९. शिर: शार्वं स्वर्गात्पशुपतिशिरस्त: क्षितिधरं ...

संस्कृत सुभाषिते [अर्थासकट]: ७६९. शिर: शार्वं स्वर्गात्पशुपतिशिरस्त: क्षितिधरं ...: अधोऽधो गङ्गेयं पदमुपगता स्तोकमथवा विवेकभ्रष्टानां भवति विनिपात: शतमुख: || नीतिशतक  भर्तृहरी   अर्थ   ही गंगा नदी स्वर्गातून भगवान शंक...

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